Posted on 11-May-2020 03:37 PM
निशंकित अंग
जैसा सच्चे देव्-शास्त्र-गुरु का स्वरुप यहाँ बताया है वैसा ही है..अन्यथा नहीं है..इस तरीके की सच्चे मार्ग में अटल संशय रहित रूचि रखने वाले के निशंकित अंग होता है|
मिथ्या मार्गियों के बहकावे में न-आकर मंत्र-यन्त्र-टोटके अदि से जो अप्रभावित रहकर..जैसा जिन धर्मं में सच्चे-देव-सच्चे-शास्त्र और सच्चे गुरु का बताया है उसे अटलता से और संशय रहित तरीके से मानना और सच्चे मार्ग में रूचि रखने वाले को निशंकित अंग होता है|
कथा अंजन चोर
निशंकित अंग में अंजन चोर प्रसिद्द हुआ…
कश्मीर देश के अंतर्ग्रत विजयपुर नगर का राजा अरिमथन था| उसके इकलौता बेटा था| इकलौता होने के कारण लाड प्यार की वजह से विद्या अध्यन नहीं कर सका, दुर्व्यसनी बन गया बड़ा होकर प्रजा को त्रास देने लगा तब राजा ने देश से निकाल दिया..
वह चोर डाकुओं का सरदार बनकर अंजन-गुटिका विद्या सिद्ध करके दुसरे पे मन-माने अत्याचार करने लगा जिससे उसे अंजन चोर के नाम से जाना गया|
एक बार वह राजगृही के राजघराने से हार चुराके भाग रहा था| कोतवालों ने विद्या नष्ट करके उसका पीछा किया| वह शमशान में पहुंचा तोह शमशान में एक वट वृक्ष में सौ सींकों के एक छींके पर एक सेठ बैठा था| वह बार-बार चढ़ रहा और उतर रहा था चोर ने पुछा यह क्या है,सेठ ने कहा मुझे जिनदत्त सेठ ने आकाश-गामिनी विद्या सिद्ध करने को दी है किन्तु शंका है की यदि विद्या सिद्ध नहीं हुई तोह नीचे शस्त्रों पर गिरकर मर जाऊंगा चोर ने कहा विद्या सिद्ध करने का उपाय मुझे बताओ क्योंकि जिनदत्त सेठ मुनि-भक्त है वचन कभी असत्य नहीं होंगे सेठ ने विधिपूर्वक सब बता दिया उसने महा-मंत्र का स्मरण करते ही एक साथ सभी डोरियाँ काट दी नीचे गिरते हुए अंजन चोर को आकाश गामिनी विद्या देवी ने आकर विमान में बैठा लिया और बोली आज्ञा दीजिये क्या करू अंजन चोर ने कहा मुझे जिन-दत्त सेठ के पास पहुंचा दो विद्या देवता ने सुमेरु पर पहुंचा दिया वहां पहुंचकर उसने जिनदत्त से मिलकर उसे नमस्कार कर सारी बातें बता दी अनंतर सम्पूर्ण पापों को छोड़कर देवर्षि मुनिराज के पास दिगम्बरी दीक्षा ले ली तपस्या से चारण ऋद्धि प्राप्त कर ली और केवलज्ञान प्राप्त कर कैलाश पर्वत से मोक्ष भी चले गए|
निशंकित अंग का कितना बड़ा प्रभाव होता है की निशंकित होने से अंजन चोर को शस्त्रों से कट कर मर जाने का डर भी नहीं था|
धन्य हैं ऐसे निशंकित अंग को धारण करने वाला अंजन चोर जो मुनिराज बनकर केवल ज्ञानी होकर मोक्ष को भी प्राप्त हो गए|
कहाणी सुदंर हैं जय जिनेंद्र
by Sanjay Soma Ahire at 11:11 PM, May 20, 2022