Posted on 30-Dec-2020 08:31 PM
चेतन है तू, ध्रुव ज्ञायक है तू
अनन्त शक्ति का धारक है तू ॥
सिद्धों का लघुनन्दन कहा, मुक्तिपुरी का नायक है तू ॥1॥
चार कषायें, दुःख से भरी, तू इनसे दूर रहे,
पापों में, जावे न मन, दृष्टि निज में ही रहे ।
चलो चलें अब मुक्ति की ओर, पञ्चम गति के लायक है तू ॥२॥
श्री जिनवर से राह मिली, उस पर सदा चलना,
माँ जिनवाणी शरण सदा, बात हृदय रखना ।
मुनिराजों संग केलि करे, मुक्ति वधु का नायक है तू ॥३॥
चेतन है तू, ध्रुव ज्ञायक है तू
अनन्त शक्ति का धारक है तू ॥
सिद्धों का लघुनन्दन कहा, मुक्तिपुरी का नायक है तू ॥
0 टिप्पणियाँ