Posted on 15-May-2023 03:56 PM
जय हो,जय हो,जय हो,जय,जय,जय,जय हो...2
नील गगन में लहराता यह जैन धर्म की शान।
आन बान अभिमान यही मेरा जिन धर्म महान।
नील गगन में लहराता यह जैन धर्म की शान।
जय हो...जय हो...जैनम जयतू शासनम्
शाश्वत ध्वज केसरिया प्यारा सब दुख संकट हारा है।
भरत चक्रवर्ती के भारत का स्वर्णिम उजियारा है।
आदिनाथ से महावीर जयघोष अहिंसा का करता।
जियो और जीने दो, सारी सृष्टि में खुशियां भरता।
गौतम स्वामी कुंदकुंद, जिन धर्म चक्र का वाहक है।
मोहन जोदड़ो हड़प्पा की जिन संस्कृति का परिचायक है।
अकलंक वीर निकलंक ने ध्वज की मर्यादा का मान किया।
तीनों लोक ने जिन शासन का मंगलमय जायगान किया।
अरिहंत सिद्ध आचार्य उपाध्याय साधु पथ संवाहक है।
सर्व हितेषी प्राणी मात्र का सर्व अभय सुखदायक है।
जैन धर्म ध्वज कीर्ति पताका सम्मुख शीश झुकाएंगे।
मंगल ध्वनि से मंगलकारी णमोकार हम गाएंगे।
जय जयवंत जिनागम प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा...
दिग्दिगंत हो जय जयकारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा...
जय हो...जय हो...जैनम जयतू शासनम्-2
जैनम जयतू शासनम्, जैनम जयतू शासनम्
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