Posted on 29-May-2020 07:28 PM
जिनवाणी माता दर्शन की बलिहारियाँ ।।टेक ।।
प्रथम देव अरहन्त मनाऊँ, गणधरजी को ध्याऊँ ।
कुन्दकुन्द आचार्य हमारे, तिनको शीश नवाऊँ ।१।
योनि लाख चौरासी माहीं, घोर महादु:ख पायो ।
ऐसी महिमा सुनकर माता, शरण तुम्हारी आयो ।२।
जानै थाँको शरणो लीनों, अष्ट कर्म क्षय कीनो ।
जनम-मरण मिटा के माता, मोक्ष महापद दीनो ।३।
ठाड़े श्रावक अरज करत हैं, हे जिनवाणी माता ।
द्वादशांग चौदह पूरव का, कर दो हमको ज्ञाता ।४।
By Jan
by Sunita jain at 10:58 PM, Sep 05, 2022