जिनवाणी माता दर्शन की बलिहारियाँ



जिनवाणी माता दर्शन की बलिहारियाँ ।।टेक ।।

 

प्रथम देव अरहन्त मनाऊँ, गणधरजी को ध्याऊँ ।

कुन्दकुन्द आचार्य हमारे, तिनको शीश नवाऊँ ।१।

 

योनि लाख चौरासी माहीं, घोर महादु:ख पायो ।

ऐसी महिमा सुनकर माता, शरण तुम्हारी आयो ।२।

 

जानै थाँको शरणो लीनों, अष्ट कर्म क्षय कीनो ।

जनम-मरण मिटा के माता, मोक्ष महापद दीनो ।३।

 

ठाड़े श्रावक अरज करत हैं, हे जिनवाणी माता ।

द्वादशांग चौदह पूरव का, कर दो हमको ज्ञाता ।४।

 

By Jan

by Sunita jain at 10:58 PM, Sep 05, 2022