Posted on 04-May-2020 08:40 PM
तर्ज : फूल तुम्हे भेजा है ख़त में
नाम तुम्हारा तारणहारा, कब तेरा दर्शन होगा
तेरी प्रतिमा इतनी सुन्दर, तू कितना सुन्दर होगा ॥
सुर नर मुनिजन तुम चरणॊं में, नितदिन शीश नवाते हैं
जो गाते हैं तेरी महिमा, मनवांछित फल पाते हैं
धन्य घडी समझुंगा उस दिन, जब तेरा दर्शन होगा ॥१-नाम॥
दीन दयाला करुणासागर, जग मेँ नाम तुम्हारा है
भटके हुए हम भक्तों का प्रभु, तू ही एक सहारा है
भव से पार उतरने को तेरे गीतों का सरगम होगा ॥२-नाम॥
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