Posted on 04-May-2020 08:56 PM
तर्ज – रिमझिम बरसता सावन
पारस प्रभु का दर्शन होगा, चरणों में उनके तन मन होगा
ऐसा सुन्दर, उज्जवल, अपना जीवन होगा ॥टेक॥
पारस प्रभु को भजूं, नित सांझ और सवेरे
मोह तृष्णा को तजूं, तब ही कुछ काम बने रे
दश विधि धर्म का पालन होगा, चरणों में उनके तन मन होगा ॥ऐसा॥
फ़िर तो दुनिया के सब ही, झमेले छूट जायेंगे
कर्मों के बन्धन भी सारे, अवश्य छूट जायेंगे
केवल ज्ञान का दर्शन होगा, चरणों में उनके तन मन होगा ॥ऐसा॥
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