Posted on 05-May-2020 04:25 PM
तर्ज : माता तू दया करके
शास्त्रों की बातों को मन से ना जुदा करना,
संकट जो कोई आये स्वाध्याय सदा करना ॥
जीवन के अंधेरों में दुखों का बीडा है,
पहचान जरा कर ले फ़िर जड से मिटा देना ॥
हम राह भटकते हैं, मंजिल का नहीं पाना,
चहुं ओर अंधेरा है बुझा दीप हमारा है ।
हमें राह दिखा जिनवर भव पार हमें करना ॥
धन दौलत की दुनिया अपना ही पराया है,
तू सार करे किसकी माटी की काया है,
पहचान जरा करले फ़िर जग से विदा लेना ॥
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