Posted on 25-Nov-2020 07:21 PM
प्रश्न 1. अरिहंत परमेष्ठी के 46 मूलगुण कौन-कौन से हैं?
उत्तर - दोहा - चौतीसों अतिशय सहित प्रातिहार्य पुनि आठ। अनंत चतुष्टय गुण सहित छीयालीसों पाठ ॥
34 अतिशय, 8 प्रातिहार्य और 4 अनंत चतुष्टय ये अरिहंत के 46 मूलगुण है।
प्रश्न 2. 34 अतिशय कौन-कौन से हैं?
उत्तर - 10 अतिशय जन्म के, 10 केवलज्ञान के और १४ देवों के द्वारा किए हुए इस प्रकार अरिहन्त के 34 अतिशय होते हैं।
प्रश्न 3. जन्म के 10 अतिशय कौन-कौन से हैं?
उत्तर - अतिशय रूप सुगन्ध तन, नाहिं पसेव निहार। प्रियहितवचन अतुल्यबल रुधिर श्वेतआकार॥ लच्छन सहसरू आठ तन, समचतुरष्ट संठान। वज्रवृषभनाराचजुत ये जनमत दश जान।।
1.अत्यंत सुन्दर रूप
2. सुगंधित शरीर
3. पसीना नहीं आना
4. निहार रहित (मल-मूत्र नहीं होना)
5. हित-मित-प्रिय वचन
6. अतुल्य बल
7. दूध के समान सफेद खून
8. समचतुरस्त्रसंस्थान
9. वज्रवृषभनाराचसंहनन
10. शरीर में 1008 लक्षणों का होना।
प्रश्न 4. केवल ज्ञान के 10 अतिशय कौन-कौन से हैं ?
उत्तर - योजन शत इक में सुभिख, गगन गमन मुख चार। नहिं अदया उपसर्ग नहिं-नहिं कवलाहार।। सब विद्या-ईश्वरपनो, नाहिं बढ़े नख केश अनिमिष दृगछाया रहित दश केवल के वेश।।
1.100 योजन में सुभिक्ष होना।
2. आकाश में गमन।
3. चतुर्मुख (एक ही मुँह चारों ओर से चारमुख रूप दिखाई देना)
4. पूर्ण दया का होना।
5. उपसर्ग नहीं होना।
6. कवलाहार (ग्रासाहार) नहीं होना।
7. सब विद्याओं के ईश्वर होना।
8. नख, केश (बाल) नहीं बढ़ना।
9. आँख की पलकों का नहीं झपकना।
10. शरीर की छाया नहीं पड़ना।
प्रश्न 5. देवों द्वारा किए जाने वाले 14 अतिशय कौन-कौन से हैं ?
उत्तर - देवरचित हैं चारदश, अर्द्धमागधी भाष। आपसमाहीं मित्रता, निर्मल दिश आकाश। होत फूल फल ऋतु सबै, पृथ्वी कॉच समान चरण कमल ठल कमल है, नभतें जय जय बान।। मंद सुगन्ध बयारि पुनि गन्घोदक की वृष्टि। भूमिविष कण्टक नहीं, हर्षमयी सब सृष्टि ॥ धर्मचक्र आगे रहे, पुनि वसु मंगल सार। अतिशय श्री अरहन्त के, ये चौंतीस प्रकार।।
1. अर्धमागघी भाषा।
2. परस्पर मित्रता।
3. दिशाओं का निर्मल होना।
4. आकाश का निर्मल होना।
5. छह ऋतुओ के फल फूल एक समय में फलना।
6. दर्पण के समान पृथ्वी का होना।
7. स्वर्णमयी कमलो की रचना।
8. देवो द्वारा आकाश में जय-ध्वनि।
9. शीतल मंद सुगंध पवन चलना।
10.सुगन्धित जल वृष्टि होना।
11 भूमि कंटक रहित होना।
12. समस्त जीवो का आनंदमयी होना।
13. धर्मचक्र आगे आगे चलना।
14. अष्ट मंगल द्रव्यों का होना।
प्रश्न 6. अष्ट मंगल द्रव्य कौन - कौन से है ?
उत्तर - 1. छत्र 2.चमर 3. घंटा कलश 4. झारी 5. ध्वजा 6. पंखा 7. स्वस्तिक 9.दर्पण।
प्रश्न 7. आठ प्रातिहार्य कौन - कौन से है ?
उत्तर - 1.अशोक वृक्ष 2. सिंहासन 3. भामंडल 4. तीन छत्र 5. चमर 6. सुयरपुष्पवृष्टि 7. दुन्दुभि 8. दिव्यध्वनि।
प्रश्न 8. चार अनन्त चतुष्टय कौन - कौन से है ?
उत्तर - ज्ञान अनंत-अनंत सुख, दरस अनंत प्रमान। बल अनंत अर्हन्त सो, इष्टदेव पहचान।
1.अनंत दर्शन 2. अनंत ज्ञान 3. अनंत सुख 4. अनंतवीर्य।
प्रश्न 9. अरिहंत परमेष्ठी के किस कर्म के क्षय से कौन सा गुण प्रकट होता है ?
उत्तर - अरिहंत परमेष्ठी के, ज्ञानावरणी कर्म के क्षय से अनंत ज्ञान। दर्शनावरणी कर्म के क्षय से अनंत दर्शन। मोहनीय कर्म के क्षय से अनंत सुख। अंतराय कर्म के क्षय से अनंतवीर्य प्रकट होता है।
प्रश्न 10. अरिहंत भगवान व केवली भगवान में क्या अंतर है ?
उत्तर - अरिहंत भगवान व केवली भगवान में कोई अंतर नहीं है। दोनों नाम पर्यायवाची है।
प्रश्न 11. दिव्यध्वनि किनकी खिरती है ?
उत्तर - अरिहंत केवली की दिव्यध्वनि का नियम नहीं है किन्तु जो तीर्थंकर है उनकी दिव्यध्वनि नियम से खिरती है।
प्रश्न 12. तीर्थंकर की माता के १६ स्वप्नों के नाम लिखिए ?
उत्तर - 1. हाथी 2. सिंह 3. बैल 4. कलश करती हुई लक्ष्मी 5. दो मालाएं 6. उगता सूर्य 7. चन्द्रमा 8. मछली का जोड़ा 9. दो पूर्ण कलश 10. कमल युक्त सरोवर 11. सागर 12. सिंहासन 13. देव विमान 14. धरणेन्द्र विमान 15. रत्न राशि 16.धूम रहित अग्नि।
प्रश्न 13. पांच कल्याणकों के नाम कौन से है ?
उत्तर - 1. गर्भ कल्याणक 2. जन्म कल्याणक 3. तप कल्याणक 4. ज्ञान कल्याणक 5. मोक्ष कल्याणक
प्रश्न 14. अरिहंत भगवान के कौन से १८ दोष नहीं होते ?
उत्तर - जन्म जरा तिरखा क्षुधा, विस्मय आरत खेद। रोग शोक मद मोह भय, निद्रा चिंता स्वेद। राग द्वेष अरु मरण जुत, ये अष्टादश दोष। नाहिं होत अरिहंत के, सो छवि लायक मोष।
1. जन्म 2. बुढ़ापा 3. प्यास 4. भूख 5. आश्चर्य 6. आरत 7. दुःख 8. रोग 9. शोक 10. मद 11. मोह 12. भय 13. निद्रा 14. चिंता 15. स्वेद 16. राग 17. द्वेष 18.मरण।
प्रश्न 15. अरिहंत भगवान के 46 मूलगुण में आत्माश्रित गुण कितने है ?
उत्तर - अरिहंत भगवान के 46 मूलगुण में आत्माश्रित गुण 4 गुण है।
प्रश्न 16. आत्माश्रित गुण कौन - कौन से है ?
उत्तर - 1.अनंत दर्शन 2. अनंत ज्ञान 3. अनंत सुख 4. अनंतवीर्य ये 4 गुण आत्माश्रित है।
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