Posted on 08-May-2020 09:04 PM
दिन रात मेरे स्वामी, मैं भावना ये भाऊँ,
देहांत के समय में, तुमको न भूल जाऊँ । टेक।
शत्रु अगर कोई हो, संतुष्ट उनको कर दूँ,
समता का भाव धर कर, सबसे क्षमा कराऊँ ।१।
त्यागूँ आहार पानी, औषध विचार अवसर,
टूटे नियम न कोई, दृढ़ता हृदय में लाऊँ ।२।
जागें नहीं कषाएँ, नहीं वेदना सतावे,
तुमसे ही लौ लगी हो, दुर्ध्यान को भगाऊँ ।३।
आत्म स्वरूप अथवा, आराधना विचारूँ,
अरहंत सिद्ध साधूँ, रटना यही लगाऊँ ।४।
धरमात्मा निकट हों, चर्चा धरम सुनावें,
वे सावधान रक्खें, गाफिल न होने पाऊँ ।५।
जीने की हो न इच्छा , मरने की हो न वाँछा,
परिवार मित्र जन से, मैं मोह को हटाऊँ ।६।
भोगे जो भोग पहिले, उनका न होवे सुमिरन,
मैं राज्य संपदा या,पद इंद्र का न चाहूँ ।७।
रत्नत्रय का पालन, हो अंत में समाधि,
‘शिवराम’प्रार्थना यह, जीवन सफल बनाऊँ ।८।
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