Posted on 30-Nov-2023 04:23 PM
ॐ जय जय अविकारी, स्वामी जय जय अविकारी ।
हितकारी भयहारी, शाश्वत स्वविहारी ॥ ॐ जय ॥ टेक ॥
काम क्रोध मद लोभ न माया,समरससुखधारी
ध्यान तुम्हारा पावन, सकल क्लेशहारी ॥ ॐ जय०१
हे स्वभावमय जिन तुम चीना, भवसन्तति टारी।
तुव भूलत भव भटकत, सहत विपत भारी ॥ ॐ जय०२
परसम्बन्ध बन्ध दुखकारण, करत अहित भारी।
परमब्रह्म का दर्शन, चहुँगति दुखहारी ॥ ॐ जय०३
ज्ञानमूर्ति हे सत्य सनातन, मुनिमनसञ्चारी ।
निर्विकल्प शिवनायक, शुचिगुणभण्डारी ॥ ॐ जय०४
बसो-बसो हे सहजज्ञानघन, सहजशान्तिचारी ।
टलैं-टलैं सब पातक, परबलबलधारी ॥ ॐ जय०५
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