Posted on 25-Jul-2023 08:37 PM
जय जय श्री बाहुजिन, तुम हो तारण तरन ॥भविजन प्यारे, इन्द्र धरणेन्द्र स्तुति धर तुम्हारे।।
१.प्रभु तुम सर्वार्थसिद्धि से आये। माता सुनंदा के प्रिय सुत कहाये ॥
आदि नृप के नन्दन, तुमको शत शत वंदन, हों हमारे ।।इन्द्र।।
२.कर्मयुग में हुए तुम विधाता । लोकहित मार्ग के तुम ही ज्ञाता ।।
अंक, अक्षर, कला, तुमसे प्रकटे प्रभो! शिल्प सारे ।।इन्द्र।।
३.देखे संबंधों की यथार्थता को राज छोड़ गये देव वन को ॥
योग साधा कठिन, कर्म बंधन गहन, तोड़ डाले ।।इन्द्र।।
४. सिद्ध परमात्म पद पा गये तुम शंभु ब्रह्मा जिनेश्वर हुए तुम ॥
सिर नवाते हुए, गुणगण गाते हुए, गणधर हारे ।।इन्द्र।।
५.नाथ अपनी चरण भक्ति दीजे । आत्मगुण सिन्धु में मन कीजै ॥
छीजे आवागमन, शिवपुर में हो गमन, कर्म झारे ।।इन्द्र।।
जय जय श्री बाहुजिन, तुम हो तारण तरन ॥ भविजन प्यारे, इन्द्र धरणेन्द्र स्तुति धर तुम्हारे।।
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