Posted on 05-May-2020 08:34 PM
यह विधि मंगल आरती कीजे, पंच परम पद भज सुख लीजे ।
पहेली आरती श्री जिनराजा, भव दधि पार उतार जिहाजा ।
यह विधि मंगल आरती कीजे, पंच परम पद भज सुख लीजे
दूसरी आरती सिद्धन केरी, सुमरण करत मिटे भव फेरी ।
यह विधि मंगल आरती कीजे, पंच परम पद भज सुख लीजे
तीजी आरती सूर मुनिंदा, जनम मरन दुःख दूर करिंदा ।
यह विधि मंगल आरती कीजे, पंच परम पद भज सुख लीजे
चोथी आरती श्री उवझाया, दर्शन देखत पाप पलाया ।
यह विधि मंगल आरती कीजे, पंच परम पद भज सुख लीजे
पाचवी आरती साधू तिहारी, कुमति विनाशक शिव अधिकारी ।
यह विधि मंगल आरती कीजे, पंच परम पद भज सुख लीजे
छठी ग्यारह प्रतिमा धारी, श्रावक बंदू आनंद कारी ॥
यह विधि मंगल आरती कीजे, पंच परम पद भज सुख लीजे
सातवी आरती श्री जिनवाणी, ज्ञानत सुरग मुक्ति सुखदानी ।
यह विधि मंगल आरती कीजे, पंच परम पद भज सुख लीजे
आरती करू सम्मेद शिखर की, कोटि मुनि हुए मोक्ष गामी जी ।
यह विधि मंगल आरती कीजे, पंच परम पद भज सुख लीजे
जो यह आरती करे करावे, सौ नर-नारी अमर पद पावें ।
यह विधि मंगल आरती कीजे, पंच परम पद भज सुख लीजे
सोने का दीप कपूर की बाती, जगमग ज्योति जले सारी राती ।
यह विधि मंगल आरती कीजे, पंच परम पद भज सुख लीजे
संध्या काले आरती कीजे, अपनों जनम सफल कर लीजे ।
यह विधि मंगल आरती कीजे, पंच परम पद भज सुख लीजे
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