Posted on 05-May-2020 08:45 PM
विद्यासागर की, गुणआगर की, शुभ मंगल दीप सजाय के।
आज उतारूँ आरतिया…..॥1॥
मल्लप्पा श्री, श्रीमती के गर्भ विषैं गुरु आये।
ग्राम सदलगा जन्म लिया है, सबजन मंगल गाये॥
न रागी की, द्वेषी की, शुभ मंगल दीप सजाय के।
गुरु जी सब जन मंगल गाये,
आज उतारूँ आरतिया…..॥2॥
गुरुवर पाँच महाव्रत धारी, आतम ब्रह्म विहारी।
खड्गधार शिवपथ पर चलकर, शिथिलाचार निवारी॥
गृह त्यागी की, वैरागी की, ले दीप सुमन का थाल रे।
गुरुजी शिथिलाचार निवारी,
आज उतारूँ आरतिया…..॥3॥
गुरुवर आज नयन से लखकर, आलौकिक सुख पाया।
भक्ति भाव से आरति करके, फूला नहीं समाया॥
ऐसे मुनिवर को, ऐसे ऋषिवर को, हो वंदन बारम्बार हो।
गुरु जी फूला नहीं समाया,
आज उतारुँ आरतिया…..॥4॥
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