Posted on 07-May-2021 09:33 PM
आरती कीजे प्रभु धर्मनाथ की, संकट मोचन जिन नाथ की -२
माघ सुदी का दिन था उत्तम, सुभद्रा घर जन्म लिया प्रभु।
राजा भानु अति हर्षाये, इन्द्रो ने रत्न बरसाये।
आरती कीजे प्रभु धर्मनाथ की, संकट मोचन जिन नाथ की।
युवावस्था में प्रभु आये, राज काज में मन न लगाये।
झूठा सब संसार समझकर, राज त्याग के भाव जगाये।
आरती कीजे प्रभु धर्मनाथ की, संकट मोचन जिन नाथ की।
घोर तपस्या लीन थे स्वामी, भूख प्यास की सुध नहीं जानी।
पूरण शुक्ल पौष शुभ आयी, कर्म काट प्रभु ज्ञान उपाई।
आरती कीजे प्रभु धर्मनाथ की, संकट मोचन जिन नाथ की।
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