Posted on 17-May-2021 09:26 PM
आरती सम्भवनाथ तुम्हारी, हम सब गाये महिमा तिहारी।
चौदह वर्ष तपस्या ठानी, कर्मजयी तुम केवल ज्ञानी।
शीश झुकाते भक्त पुजारी, आरती सम्भवनाथ तुम्हारी।
तुमने आत्मज्योति प्रकटाई, कर्म शत्रुओ पर जय पाई।
संकटहारी शिव भर्तारी, आरती सम्भवनाथ तुम्हारी।
राजपाट क्षण भर में छोड़ा, शिव पथ पर जीवन रथ मोड़ा।
तुम हो तीर्थंकर पदधारी, आरती सम्भवनाथ तुम्हारी।
शरण तुम्हारी जो आता है, मनवांछित फल वह पाता है।
तुम शरणागत को सुखकारी, आरती सम्भवनाथ तुम्हारी।
संकटमोचन नाम तुम्हारा, जिसने मन से तुम्हे पुकारा।
मिली सिद्धियां मंगलकारी, आरती सम्भवनाथ तुम्हारी।
नाथ आरती यह स्वीकारो, भवसागर से पार उतारो।
हम सब सेवक आज्ञाकारी, आरती सम्भवनाथ तुम्हारी।
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