बाल संस्कार सौरभ भाग-१(बाल शिक्षा ,नारे...)



बाल शिक्षा

अरिहन्त नाम लड्डू सिद्ध नाम घी।

साधु नाम मिश्री को घोट-घोट पी।

महावीर कह गये सभी से, जैन वही कहलायेगा।

दि में भोजन-छान के पानी, नित्य जिनालय जायेगा।

सुन लो विद्या गुरू की वाणी, कहती है ये जिनवाणी।

भोजन दिन में करना चाहिये, पीओ छान कर के पानी।

 

भोजन करो जानकर - पानी पीओ छान कर

आलू जो भी खाता है - भालू वो बन जाता है।

   प्याज अगर तुम खाओगे - जल्दी ही सड़ जाओगे  

बाजार की आइसक्रीम जो खावे - मुर्गा-मुर्गी वो बन जावे।

खाते हैं जो रोज आचार - फुंसी होती उन्हें हजार।

पाउच चुटकी खाओगे - छिपकली बन जाओगे।

रात में खाये दानव - दिन में खाये मानव

मंदिर जो न जाते रोज - कभी न मिलता उनको भोज।

नेल पॉलिश लगाते हो - बंदर को कटवाते हो।

लिपिस्टक रोज लगाते हो - मछली का खून खाते हो।

होटल की जो खाते चाट - डॉग है वे सब मानव नॉट।

शैम्पू अगर तुम डालोगे - बिल्ली से बन जाओगे।

बहनें वाल कटायेगी - ताड़का कहलायेगी।

भैया बाल बढ़ायेगें - खरदूषण कहलायेगें।

नेल बढ़ाते बड़े-बड़े - राक्षस बनते खड़े-खड़े।

पटाखे जो भी जलायेंगे - आतंकवादी कहलायेंगे।

हम सबको इनको छोड़ेंगे - सच्चे जैनी कहलायेंगे।

अहिंसा परमो धर्म की...जय ! 

जैन धर्म की...जय ! 

 

 नारे

देव के दर्शन - नित्य करेंगे, रात्रि भोजन - नहीं करेंगे

बिना छना जल - नहीं पियेंगे, माता-पिता कि - सेवा करेंगे 

गुरूजन का - सम्मान करेंगे, अन्न जहां का - हमने खाया

नीर जहां का - हमने पिया, वस्त्र जहां के - हमने पहने

ह है प्यारा देश हमारा, देश हमारा भारत प्यार।

देश की रक्षा कौन करेगा, हम करेगें हम करेंगें।

धर्म की रक्षा कौन करेगा, हम करेगें, हम करेगें।

त्रिशला नंदन वीर की, जय बोलो महावीर की ।

महावीर के संदेशो को, घर-घर तक पहुँचाना है।

आंधी और तुफानो में, आगे बढ़ते जाना है।

ये वैरागी कहां चले, पापाचार मिटाने को।

हैलो हा छोड़िये, जय जिनेन्द्र बोलिये,

नील गगन में एक सितारा, आचार्य श्री को नमन हमारा।

वीर-प्रभु का क्या संदेश, जीओ और जीने दो।

सत्य अहिंसा प्यारा है, यही हमारा नारा है।

जैन धर्म किसका है, जो पाले उसका है।

जैनम जयतु शासनंवन्दे विद्या सागरम्‌।

 

ओ भइया बहनों ! क्या भाई क्या ? एक बात बताऊँ ?

हाँ भाई हाँ ! सब लोग सुनोगें ? हाँ भाई हाँ ! एक चीज मिलेगी ?

क्या भाई क्या ?

भगवान के दर्शन, वाह भाई वाह।

मुनियो के दर्शन, वाह भाई वाह

गुरुओं के दर्शन, वाह भाई वाह

तीर्थो के दर्शन, वाह भाई वाह

क्षेत्रों के दर्शन, सिद्ध क्षेत्र के दर्शन वाह-भाई वाह

 

ओ भहया बहनों, क्या भाई क्या, एक बात बताऊँ ? हाँ भाई हा ! सब

लोग सुनोगे-हाँ भाई हाँ !

कल फिर से आना-हाँ भाई हाँ ! पाठशाला में आना-हाँ भाई हाँ,

दीदी को लाना, भैया को लाना

फिर  ज्ञान बढ़ाना, आचरण में लाना, फिर ध्यान लगाना

फिर मोक्ष पद पाना, वाह भाई चाह ! फिर आनन्द मनाना

वाह भाई वाह...

 

आओ बच्चों हम सीखे

पुष्पों से तुम हंसना सीखो - भोरों से तुम गाना।

सूरज की किरणों से सीखो - जगना और जगाना॥ 

वायु के झोंकों से सीखो - बढ़ना और बढ़ाना।

मेहंदी के पत्तों से सीखो - बिछुड़े बंधु मिलाना।

दूध और पानी से सीखो - मिलकर प्रेम बढ़ाना।

वृक्षों की डाली से सीखो - फल आये झुक जाना॥

संतों की वाणी से सीखो - अंतर्ज्योति जलाना।

चौरासी के बंधन काटो - जीवन सफल बनाना॥

कहे गुरू धर वेष दिगम्बर - कर्म काट शिव जाना।

मुक्तिपुर के वासी बनकर - हीं पे मौज मनाना।।

 

हैय उपादेय

बोल सको तो मीठा बोलो, कटु बोलना मत सीखो।

बचा सको तो जीव बचाओ, जीव मारना म सीखो।।

बदल सको ते कुपथ बदलो, सुपथ बदलना मत सीखे ।

बता सको तो राह बताओ, पथ भटकाना मत सीखो।

बिछा सको तो फूल बिछाओ, शूल बिछाना मत सीखो।

मिटा सको तो बैर मिटाओ, प्यार मिटाना मत सीखो।

कमा सको तो पुण्य कमाओ, पाप कमाना मत सीखो।

लगा सको तो बाग लगाओ, आग लगाना मत सीखो।

जला सको तो दीप जलाओ, ह्रदय जलाना मत सीखो॥।