बाल संस्कार सौरभ भाग-१(कषाय, सप्त व्यसन)



कषाय

कषाय क्या कहलाती हैं ? - राधीन जो करती हैं, कर्मों से कसवाती हैं, भव-भव में भटकाती है, वह कषाय कहलाती है।

कषाय कितनी होती है ? - कषाय चार होती है।

कौन-कौन सी होती है ? - क्रोध, मान, माया, लोभ।

परिभाषा इनकी बतलाते, गुरूवर इन से हमे बचाते।

संतोषी है वह कहलाता, मोक्ष मार्ग में वह बढ़ जाता।

क्रोध कषाय है क्या कहलाती ? - पहले गुस्सा दिलाती है, बाद में पिटवाती है पश्चाताप कराती है, क्रोध कषाय कहाती है।

मान कषाय है क्या कहलाती ? - मान करे तो हो अभिमानी, कहे घमण्डी उसको ज्ञानी, मद भी यह करवाती है, मान कषाय कहाती है।

माया क्या कहलाती है ? - मुख मे राम बगल में छुरी, छोड़ इसे यह रीत है बुरी, मायाचारी धोखा है, धक्का मारो मौका है।

लोभ कषाय है क्या कहलाती ? - एक हुये तो सौ की इच्छा, घोर नरक में है जाना। लोभ पाप का बाप बखाना, इसके चक्कर में न आना।

 

कषाय से हानि 

इनसे क्या क्या हानि है, सुन लो गुरु की वाणी है।

मन चित्त हमको लानी है, सफल होय जिंदगानी है। 

क्रोध से क्या क्या हानि है, सुन लो…

द्वीपायन मुनि ऋद्धिधारी, क्रोध किया उनने अतिभारी। 

जली द्वारिका नगरी सारी, स्वयं जले वे ऋद्धिधारी। 

मान से क्या क्या हानि है, सुन लो…

इक लख पूत सवा लख नाती, ता रावण घर दिया न बाती। 

नरक चले गए रावण मानी, मान किया तो हुई ये हानि। 

माया से क्या क्या है हानि सुन लो…

छल और कपट, दगा, बेईमानी, मायाचारी की ये निशानी। 

तिर्यंचों की गति को पानी, मायाचारी से ये हानि।

लोभ से क्या क्या है हानि सुन लो…

वृक्ष में लटका था इक प्राणी, शहद बूंद में ललचा प्राणी। 

नरक में पहुँचा ऐसा प्राणी, लोभ करने से हुई हानि।

 

सप्त व्यसन

जुआ खेलना, मांस मद, वैश्या गमन शिकार। 

चोरी पर स्त्री रमण, सातो व्यसन निवार। 

व्यसन - बुरी आदतों को व्यसन कहते है। 

सात व्यसन - 1. जुआ खेलना 2. मांस खाना 3. मदिरापान 4. वैश्या गमन करना 5. शिकार खेलना

            6. चोरी करना 7. पर स्त्री सेवन

1. जुआ खेलना - बिना मेहनत किये बहुत अधिक धन कमाने की इच्छा रखते हुए ताश पत्ती, सट्टा (खेल,शेयर,लॉटरी आदि)  में पैसा लगाना जुआ व्यसन है। 

2. मांस खाना - जिंदा या मृत पशुओं के कलेवर का भक्षण करना मांस खाना व्यसन कहलाता है।

3. मदिरापान - वे सभी पदार्थ जिसके सेवन से व्यक्ति होश, विवेक, बुद्धि खो बैठता है, इन्द्रिय सुप्त हो जाती है, मदिरापान  व्यसन के अंतर्गत आता है। 

4. वैश्यागमन करना - नगर-नारी जिसका पर पुरुषों से संबंध रहता हो ऐसी वैश्या से संबंध रखना,उसके कोठे पर आना जाना  वैश्यागमन व्यसन कहलाता है। 

5. शिकार खेलना - आमोद प्रमोद के लिए तीर कमान, तलवार, भाले आदि अस्त्र शस्त्र से प्राणियों को मारना, छेदन भेदन    करना शिकार व्यसन कहलाता है।

6. चोरी करना - बिना स्वामी की आज्ञा से उसके धन का हरण करना चोरी व्यसन कहलाता है।

7. पर स्त्री सेवन - अन्य पुरुषों के द्वारा विवाहित स्त्री अथवा अन्य स्त्रियों के साथ अनुचित संबंध रखना,वासना की पूर्ति करना  पर स्त्री सेवन व्यसन कहलाता है।