Posted on 10-Nov-2020 08:39 PM
मंगल पाठ
मंगल क्या कहलाता है?
जो पापों को गलाता है, और पुण्य को लाता है, वह मंगल कहलाता है।
मंगल कितने होते हैं?
मंगल चार होते हैं!
कौन-कौन से होते है?
अरिहंतो का पहला मंगल, सिद्ध ही मंगल दूजा है, साधुजन का तीजा मंगल, धर्म ही मंगल चौथा है।
मंगल पाप नाशक है, आनन्द मंगल दायक है।
उत्तम क्या कहलाता है?
सर्वश्रेष्ठ जो होता है, राजा भी शीश झुकाता है, वह उत्तम कहलाता है।
उत्तम कितने होतें है?
उत्तम चार होते हैं।
कौन-कौन से होते हैं?
अरिहंतो का पहला उत्तम, सिद्ध ही उत्तम दुजा है, साधु जन का तीजा उत्तम, धर्म ही उत्तम चौथा है।
उत्तम को जो ध्याता है, वह उत्तम पद को पाता है।
शरणा क्या कहलाती है?
जो भय से रक्षा कराती है, और निर्भयता को लाती है, वह शरणा कहलाती है।
शरणा कितनी होती है?
शरणा चार होती है।
अरिहंतो की पहली शरणा, सिद्ध ही शरणा दूजी है, साधु जन की तीजी शरणा, धर्म ही शरणा चौथी है।
ये शरणा जो अपनाता है, वो मुक्ति पथ को पाता है।
परमेष्ठी
परमेष्ठी कितने होते है?
परमेष्ठी पांच होते हैं।
कौन-कौन से होते हैं?
अरिहंत परमेष्ठी, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय परमेष्ठी, साधु है अपार ।
चार घातिया नाश करें, अरिहंत प्रभु कहलाते हैं।
आठ कर्म जो नाश करे, सिद्ध प्रभु कहलाते हैं।
शिक्षा-दीक्षा देते हैं, वे आचार्य कहाते हैं।
मुनिवर पढ़ें-पढ़ाते हैं, उपाध्याय कहलाते हैं।
रत्नत्रय को ध्याते हैं, साधु वे कहलाते हैं।
ये परमेष्ठी कहाते हैं, हम इनको शीश झुकाते है।
मूलगुण
अरिहंत परमेष्ठी के कितने मूलगुण, अरिहंत परमेष्ठी के 46 मूलगुण।
सिद्ध परमेष्ठी के कितने मूलगुण, सिद्ध परमेष्ठी के 8 मूलगुण।
आचार्य परमेष्ठी के कितने मूलगुण, आचार्य परमेष्ठी के 36 मूलगुण।
उपाध्याय परमेष्ठी के कितने मूलगुण, उपाध्याय परमेष्ठी के 25 मूलगुण ।
साधु परमेष्ठी के कितने मूलगुण, साधु परमेष्ठी के 28 मूलगुण।
श्रावक के होते हैं कितने मूल गुण, श्रावक के होते हैं 8 मूलगुण
हम-सब के हैं कितने मूलगुण, हम सबके हैं 8 मूल गुण।
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