Posted on 13-Nov-2020 02:59 PM
प्रसिद्ध ग्रन्थ हरिवंश पुराण से ज्ञात होता है की भगवान महावीर जैन धर्म के अंतिम व चौबीसवें तीर्थंकर ने सर्वज्ञता की उपलब्धि के पश्चात भव्य वृंद को तत्वोपदेश देकर पावानगरी में मनोहर नामक उद्यान युक्त वन में पधार कर स्वाति नक्षत्र के उदय होने पर कार्तिक कृष्ण अमावस्या को सुप्रभात की प्रथम शुभ बेला में अघातिया कर्मो को नष्ट कर निर्वाण प्राप्त किया था। उस दिन सांयकाल में गणधर गौतम स्वामी को केवल ज्ञान प्राप्त हुआ था। उसी दिन से प्रतिवर्ष कार्तिक कृष्ण अमावस्या की प्रातः बेला पर भगवान महावीर स्वामी के समक्ष निर्वाण लाडू चढ़ाया जाता है। और भगवान महावीर स्वामी व गणधर गौतम स्वामी की पूजा अर्चना की जाती है।
पूजा व निर्वाण कांड भाषा की लिंक नीचे दी गयी है -
प्रारम्भिक पूजन विधि
https://jainsaar.com/jain-pujan/praarambhik-poojan-vidhi
विनय पाठ
https://jainsaar.com/jain-pujan/vinay-paath
देव शास्त्र गुरु पूजन (प्रथम देव)
https://jainsaar.com/jain-pujan/dev-shaastra-guru-poojan-pratham-dev
श्री महावीर स्वामी पूजा
https://jainsaar.com/jain-pujan/shri-mahaveer-swami-pooja
निर्वाण कांड भाषा
https://jainsaar.com/stuti-sangrah/nirvaan-kand-bhasha
श्री गौतम गणधर पूजा
https://jainsaar.com/jain-pujan/shri-goutam-gandhar-pooja
सरस्वती पूजा
https://jainsaar.com/jain-pujan/sarasvati-pooja
अर्घ्यावली, शांतिपाठ, विसर्जन
https://jainsaar.com/jain-pujan/arghyaavalee-santipaath-visarjan
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